
कोयला घोटाला: हाईकोर्ट ने सौम्या, सूर्यकांत समेत परिवार की याचिका खारिज की, ईडी की कार्रवाई को दी वैधता
रायपुर(छत्तीसगढ़ टाइम्स 24×7) छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई संपत्ति कुर्की की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और उनके परिजनों द्वारा लगाई गई याचिकाएं हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दी हैं।
यह फैसला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने ईडी द्वारा की गई कार्रवाई को वैध ठहराया और कहा कि संपत्ति की अटैचमेंट प्रक्रिया कानून के तहत उचित है।
क्या था मामला:
प्रवर्तन निदेशालय ने 30 जनवरी 2025 को पीएमएलए, 2002 के तहत सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और उनके परिजनों की कुल 49.73 करोड़ रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। इसमें बैंक बैलेंस, नकदी, वाहन, आभूषण और भूमि शामिल हैं।
यह कार्रवाई केजेएसएल कोल पावर और इंद्रमणि मिनरल्स की याचिकाओं के बाद अदालत की निगरानी में चल रही थी। इस केस में कुल 10 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया गया।
ईडी की जांच में क्या सामने आया:
ईडी की जांच में यह सामने आया कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला परिवहन के हर टन पर 25 रुपये की अवैध वसूली की गई। इस वसूली के लिए राज्य के कुछ राजनेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया गया था।
खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्रोई द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बताया गया है। ईडी का दावा है कि इस घोटाले से करीब 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई।
कैसे खर्च हुई अवैध कमाई:
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अवैध वसूली से प्राप्त राशि का उपयोग सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने और चुनावी खर्चों में किया गया। साथ ही इन पैसों से आरोपियों ने कई संपत्तियां भी खरीदीं।
अधिवक्ताओं की दलीलें:
इस मामले में अपीलकर्ताओं की ओर से हर्षवर्धन परगनिहा, निखिल वार्ष्णेय, शशांक मिश्रा, अभ्युदय त्रिपाठी समेत कई अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। वहीं ईडी की ओर से अधिवक्ता डॉ. सौरभ कुमार पांडे ने ईडी की कार्रवाई को उचित ठहराया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि हाईकोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को कानूनी और वैध माना है। अब आरोपियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचता है, लेकिन फिलहाल के लिए उनकी संपत्ति की कुर्की पर रोक की कोई संभावना नहीं है।

Cheaf Editor of Chhattisgarhtimes 24×7