
मदर्स डे: मां के बिना अधूरी है ज़िंदगी
(छत्तीसगढ़ टाइम्स 24×7)हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने वाला मदर्स डे सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी मां के प्रति आभार प्रकट करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन की शुरुआत जिन हाथों की ममता से होती है, वे हाथ हमेशा हमारे लिए दुआ बनकर साथ चलते हैं।
मां केवल एक शब्द नहीं, एक पूरी भावना है — त्याग, प्रेम, समर्पण और सहनशीलता की मिसाल। वो पहली गुरु होती है, जो बिना कुछ कहे जीवन के बड़े-बड़े पाठ पढ़ा देती है। उसके बिना न बचपन की कहानियाँ पूरी होती हैं, न जीवन की मुश्किलें आसान।
मदर्स डे का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से जुड़ा है, जब अमेरिका की ऐना जार्विस ने इसे एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दिलाने की पहल की। जल्द ही यह दिन दुनिया भर में मातृत्व के सम्मान में मनाया जाने लगा।
आज के समय में जहां भागदौड़ भरी ज़िंदगी और व्यस्त दिनचर्या हमें अपनों से दूर कर रही है, वहां मदर्स डे हमें मौका देता है एक पल ठहर कर मां को वो प्यार और सम्मान देने का, जिसकी वह सच्ची हकदार है। चाहे एक फूल हो, एक संदेश, या बस कुछ लम्हे साथ बिताए जाएं — मां के लिए यही सबसे कीमती तोहफा है।
इस मदर्स डे पर आइए हम सब मिलकर उस ममता की मूरत को सलाम करें, जो हर दुख में ढाल बनकर खड़ी रही, और हर खुशी में हमारे चेहरे की मुस्कान बन गई।
“मां” — एक शब्द, जिसकी गहराई को कोई माप नहीं सकता।

Cheaf Editor of Chhattisgarhtimes 24×7