
बिलासपुर: कोटा ब्लॉक में बाइक एम्बुलेंस सेवा बंद, समय पर इलाज न मिलने से नवजात की मौत | स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से गई मासूम की जान
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ टाइम्स 24×7) – छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने एक बार फिर मासूम की जान ले ली। बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक के बहरीझिरिया गांव में प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को समय पर एम्बुलेंस सेवा नहीं मिलने के कारण उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
10 दिनों से बंद पड़ी है बाइक एम्बुलेंस सेवा
जानकारी के अनुसार, कोटा ब्लॉक के केंदा, लूफा, खोंगसरा और शिवतराई जैसे दुर्गम क्षेत्रों में मरीजों को तत्काल सुविधा देने के लिए शुरू की गई बाइक एम्बुलेंस सेवा पिछले 10 दिनों से पूरी तरह ठप पड़ी है। सेवा को संचालित करने वाले कर्मचारियों को वेतन न मिलने के चलते काम रोकना पड़ा। उनकी बकाया राशि ₹3 लाख से अधिक हो चुकी है।
शांतन बाई को नहीं मिली मदद, नवजात की मौत
सोमवार की रात बहरीझिरिया निवासी शांतन बाई को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। स्थानीय लोगों ने कांग्रेस नेता संदीप शुक्ला से मदद मांगी, जिन्होंने तत्काल केंदा स्वास्थ्य केंद्र से बाइक एम्बुलेंस की मांग की। लेकिन पता चला कि सेवा बंद है क्योंकि कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है। बाद में 102 एम्बुलेंस की मदद से महिला को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही नवजात की मौत हो गई।
एक साल पहले शुरू हुई थी जीवनदायी सेवा
तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण की पहल पर शुरू की गई ये सेवा दुर्गम इलाकों में बेहद कारगर साबित हुई थी। खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और गंभीर मरीजों के लिए बाइक एम्बुलेंस समय पर इलाज का जरिया बनी। लेकिन एनएचएम प्रभारी और जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते सेवा अब बंद हो चुकी है।
प्रशासनिक अनदेखी बनी मौत की वजह
कर्मचारियों ने कई बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) प्रभारी प्यूली मजूमदार को भुगतान और समस्या की जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन 10 दिन पहले कर्मचारियों ने सेवा बंद कर दी।
निष्कर्ष: यह घटना न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाल व्यवस्था को उजागर करती है बल्कि यह भी बताती है कि प्रशासन की बेरुखी का खामियाजा आम जनता को जान देकर चुकाना पड़ता है।

Cheaf Editor of Chhattisgarhtimes 24×7