
जिन डॉक्टरों को हम भगवान मानते हैं, वही आज बन बैठे हैं मौत के सौदागर!
श्वेता हॉस्पिटल की लापरवाही से गई अंजलि सिंह की जान, परिजनों ने मांगा न्याय
रामपुर कोरबा(छत्तीसगढ़ टाइम्स 24×7) जब हम बीमार होते हैं, तो डॉक्टर ही वह देवता होते हैं जिन पर हम आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। लेकिन जब यही डॉक्टर लापरवाही बरतने लगें, तो वह भरोसा टूटकर चकनाचूर हो जाता है। रामपुर के श्वेता हॉस्पिटल में एक ऐसा ही हृदयविदारक मामला सामने आया है, जिसने डॉक्टरों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
🏥 क्या है पूरा मामला?
1 जून को गोढ़ी निवासी रणजीत सिंह अपनी पत्नी अंजली सिंह को प्रसव के लिए श्वेता हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी और अंजली का सीज़ेरियन ऑपरेशन कर दिया। अंजली ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया, लेकिन ऑपरेशन के बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। शरीर से तेज रक्तस्राव होने के बावजूद रविवार को अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। सिर्फ नर्सों के भरोसे अंजली को छोड़ दिया गया।
📞 कॉल करते रहे, लेकिन डॉक्टर नहीं आई
परिजनों ने कई बार डॉक्टर श्वेता को कॉल किया लेकिन उन्होंने रविवार और पूरी रात अस्पताल आना मुनासिब नहीं समझा। सोमवार सुबह 11 बजे डॉक्टर श्वेता पहुंचीं और तब तक अंजली की हालत गंभीर हो चुकी थी। डॉक्टर ने अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर अंजली को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया।
बचाया नहीं जा सका जीवन
परिजनों ने अंजली को आनन-फानन में NKH हॉस्पिटल में भर्ती कराया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने पहले ही कह दिया कि उम्मीद न के बराबर है। सोमवार रात 11 बजे अंजली ने दम तोड़ दिया। अब उसका ढाई साल का बेटा और 2 दिन का नवजात शिशु मां की ममता से वंचित हो गए हैं।
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🚨 डॉक्टर की लापरवाही या सिस्टम की नाकामी?
परिजनों का कहना है कि अगर समय पर डॉक्टर इलाज करतीं, तो अंजली की जान बच सकती थी। श्वेता हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. श्वेता पर गंभीर लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें उन्होंने सिरे से नकार दिया है।
वहीं, NKH हॉस्पिटल के संचालक डॉ. चंदानी ने स्पष्ट किया कि मरीज की स्थिति अत्यंत गंभीर थी और परिजनों को इसकी पूरी जानकारी दे दी गई थी।
🏛 रामपुर थाना में शिकायत, परिजनों ने मांगी न्याय की गुहार
परिजनों ने रामपुर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए श्वेता हॉस्पिटल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं, तो मरीज को भर्ती क्यों किया गया?
📢 कब जागेगा प्रशासन? कब होगी निजी अस्पतालों की जवाबदेही तय?
शहर में संचालित निजी अस्पतालों द्वारा मोटी रकम वसूलने के बावजूद इलाज में घोर लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। कई बार मरीजों को आखिरी स्टेज में रेफर कर दिया जाता है, जब बचना नामुमकिन हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है — क्या पैसे लेकर मरीज की जान से खिलवाड़ करने वालों पर अब सख्त कानून लागू होंगे?

Cheaf Editor of Chhattisgarhtimes 24×7