
कोरबा में मानिकपुर खदान बना धूल का तूफान, नागरिकों की सांसें हो रही दूभर
कोरबा (छत्तीसगढ़ टाइम्स 24×7) – कोरबा शहर में प्रवेश करते ही लोगों का सामना एक अजीब अनुभव से होता है – ऐसा लगता है मानो धूल से नहाने का सिलसिला शुरू हो गया हो। यह स्थिति कोई नई नहीं है, बल्कि सालों से चल रही एक गंभीर समस्या है, जो अब विकराल रूप ले चुकी है।
सीतामणी से पहले स्थित बंद पड़ी मानिकपुर खदान, जो अब राखड़ डंपिंग साइट बन चुकी है, कोरबा शहर में बढ़ती धूल और प्रदूषण का मुख्य केंद्र बन गई है। इस खदान में रोजाना सैकड़ों ट्रक और ट्रेलर राखड़ लाकर डंप कर रहे हैं। चाम्पा की ओर से आने वाला यह एकमात्र मार्ग है जो कोरबा शहर से होकर गुजरता है। यही मार्ग अब धूल, गड्ढों और जानलेवा दृश्य बाधाओं का पर्याय बन चुका है।
राखड़ डंपिंग से उड़ रही धूल, नागरिकों की जान पर बन आई
राखड़ से उड़ने वाली धूल न केवल राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, बल्कि आसपास के पूरे क्षेत्र को धूल के गुबार से ढंक रही है। ट्रकों से गिरने और उड़ने वाली राखड़ की परतें सड़कों पर फैलकर एक फिसलन भरा, धूलयुक्त कालीन बिछा देती हैं। इससे जहां वाहन चालकों को दृश्यता में भारी कठिनाई होती है, वहीं सड़क पर चलना जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।
बड़ी गाड़ियों से सड़कें बदहाल, हादसों का बना खतरा
इस मार्ग पर बड़े ट्रकों और ट्रेलरों की आवाजाही के कारण सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। इन गड्ढों और धूल की परतों के कारण दिन-रात इस रास्ते से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। कई बार सामने से आ रही गाड़ियां तक नहीं दिखतीं, जिससे हादसों का खतरा लगातार मंडरा रहा है।
प्रशासन बना मूकदर्शक, उठाने होंगे ठोस कदम
इस गंभीर स्थिति के बावजूद प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि इस पूरे प्रकरण पर तुरंत संज्ञान लिया जाए और राखड़ डंपिंग को नियंत्रित किया जाए। साथ ही सड़क की मरम्मत, पानी का छिड़काव और वैकल्पिक मार्ग जैसी व्यवस्थाएं लागू की जाएं ताकि शहरवासियों को इस प्रदूषण से राहत मिल सके।

Cheaf Editor of Chhattisgarhtimes 24×7